Wednesday 8 February 2017

हुस्न इश्क़ तो धोखा..

किसी का यूँ तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी, 
ये हुस्न ओ इश्क़ तो धोखा है सब मगर फिर भी।
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चाहा है तुम्हें अपने अरमान से भी ज्यादा, 
लगती हो हसीन तुम मुस्कान से भी ज्यादा, 
मेरी हर धड़कन हर साँस है तुम्हारे लिए, 
क्या माँगोगे जान मेरी जान से भी ज्यादा।
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अब आ गए हो आप तो 
आता नहीं कुछ याद, 
वरना कुछ हमको आप से 
कहना ज़रूर था।
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देर लगी आने में तुमको, 
शुक्र है फिर भी आये तो, 
आस ने दिल का साथ न छोड़ा, 
वैसे हम घबराये तो।
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जा और कोई ज़ब्त की दुनिया तलाश कर 
ऐ इश्क़ हम तो अब तेरे काबिल नहीं रहे।
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तेरे हर गम को अपनी रूह में उतार लूँ, 
ज़िन्दगी अपनी तेरी चाहत में संवार लूँ, 
मुलाकात हो तुझसे कुछ इस तरह मेरी, 
सारी उम्र बस एक मुलाकात में गुज़ार लूँ।
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घुट घुट के जी रहा हूँ तेरी नौकरी में ऐ दिल, 
बेहतर तो होगा अब तू कर दे मेरा हिसाब, 
शिकवे तो कम नहीं है पर क्या करुं शिकायत, 
कहीं हो न जाएं तुझसे रिश्ते मेरा खराब।
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आशियाँ बस गया जिनका, उन्हें आबाद रहने दो, 
पड़े जो दर्द भरे छाले, जिगर में यूँ ही रहने दो, 
कुरेदो ना मेरे दिल को, ये अर्जी है जहां वालों, 
छिपा है राज अब तक जो, राज को राज रहने दो। 

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