Sunday 12 February 2017

मै चुदाई का गुलाम बना

हेल्लो दोस्तों, मेरा नाम अरुण अवस्थी है, मैं आपके साथ आज अपनी सेक्स स्टोरी शेयर करने जा रहा हूं. मेरी एक रिलेटिव है जिनका नाम है मोना.. दिखने में खूबसूरत और चेहरे के हाव भाव से डोमिनेंट लगती है, उनका नेचर थोड़ा एग्रेसिव और दूसरों पर हुकूमत चलाने वाला जेसा है, मतलब यह कि वह जो कहे बिना कुछ बोले उनकी बात चुपचाप मान लो.. उनकी शादी हो चुकी है पर उनका हस्बैंड फॉरेन में रहता है, वह अपनी ४ साल की बेटी के साथ अपने मायके में रहती है.
एवरेज से थोड़ा ज्यादा बड़े बूब और बड़ी चुतड.. थोड़ा हेवी फेस, यह कॉन्बिनेशन उनको किसी फेमडोम वीडियो की डोमिनेंट मिसस्ट्रेस बनाता है, मुझे पहले से ही फेमडोम पसंद है और मैं चाहता था मुझे कोई मिस्ट्रेस मिले जो मुझे अपनी चूत और गांड चटवाये.
मुझे यह चस्का भी शायद उन्ही की वजह से लगा था, उन दिनों उसकी शादी नहीं हुई थी. एक बार वह मेरे घर अपने मां पापा के साथ आई, तब में छोटा था. रात को सोने के वक्त उसने कहा कि मैं अरुण के साथ सो जाऊंगी, उस वक्त मैं सातवीं क्लास में पढ़ता था, एज गेप होने की वजह से किसी को कोई हेजिटेशन नहीं हुआ और सब घर वाले अपनी अपनी जगह सो गये.
रात को कमरे में हम दोनों बात कर रहे थे उसने ट्राउजर और टी शर्ट पहन रखा था उन्होंने कहा..
अरुण मेरे पैरों में दर्द हो रहा है जरा दबा दोगे प्लीज़?
मैंने कहा जी बिल्कुल और दबाने लगा फिर बहुत देर बाद मुझे नींद आने लगी और मैं सो गया.
सोते वक्त मेरा पोजीशन कुछ ऐसा था कि मेरा सर उनके कमर के लेवल में था और मैं लेटे लेटे ही एक हाथ से उनके मोटे मोटे पैर दबाते दबाते सो गया जब मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि मेरा हाथ उनकी जांघो के बीच में फसा पड़ा है, मैंने हटा ने का सोचा मगर दो वजह से नहीं हटाया.
एक – मुझे लगा की कहीं हटाने के चक्कर में उनकी नींद टूट गई तो शायद वह मुझे गलत समझ बैठे.
दूसरा- मुझे उनकी चूत की गर्मी मुझे अपने हाथों में महसूस हो रही थी जोकि उस ठंडे मौसम में अलग सी थी और कुछ ज्यादा खास खुशी दे रही थी, और मुझे बहोत मजा आ रहा था.
मैं चुपचाप वैसे पड़े रहने में ही अपनी भलाई समझी और मजे लेता रहा, थोड़ा थोड़ा हाथ उनकी चूत की और बढ़ाने की कोशिश करता रहा लेकिन उनकी टांगों के बीच हाथ हिलाना मुझे बहोत मुश्किल पड़ रहा था, मेरी हालत तो बिगड़ती जा रही थी. मेरे चेहरे के लगभग सामने उनकी चुत थी, और मेरे दिल में आ रहा था कि मैं अपने लिप्स उनकी चूत से लगा दू, तभी मेरी किस्मत मुझ पर मेहरबान हुई और मोना जी थोड़ी हरकत में आई…
मैं वैसे ही आंख बंद कर के सोया रहा तभी मैंने महसूस किया कि उनकी जांघ की पकड़ ढीली हुई लेकिन मोना जी ने मेरा हाथ ऊपर खीसका कर अपनी चूत से सटाया और जोर से वापिस अपनी जांघो से दबा लिया.. मैं तो खुशी से मन ही मन नाच उठा और कुछ समय बाद हसीन सपने देखते हुए सो गया.
मोना जी फिर से हरकत में आई.
उसने नींद में होने का बहाना करते हुए अपनी टांग उठाकर मेरे सिर के बाजू में ऐसे रखा कि उनकी चूत मेरी कनपट्टी पर आ कर रख गई.. मेरी तो जैसे मन की मुराद पूरी हो गई में अपने मन ही मन बहोत खुश हो रहा था. उसके बाद मोना ने कुछ ज्यादा ही हीलना शुरु कर दिया था.
थोड़े थोड़े समय बाद वह हिलती थी और अपनी चूत मेरे चेहरे पर रगडती थी.. मैंने भी उसका साथ देना चालू कर दिया. उन्होंने शायद पेंटी नहीं पहनी थी क्योंकि उनकी चूत के बाल छोटे छोटे थे और वह मेरे चेहरे में चुभ रहे थे. फिर ना जाने कब मुझे दोबारा नींद आई और मैं सो गया और जब अगले दिन उठा तो वह उठ कर दूसरे फैमिली मेंबर्स के साथ बातें कर रही थी. में भी  फ्रेश हुआ और वहा पर गया तो जब उसने मुझे देखा तो उसके चेहरे पर एक अजीब सा रौब था जैसे उन्होंने कुछ खास पा लिया हो जिसे वह लंबे समय से खोज रही थी.
कुछ महीनों बाद हम फिर एक पार्टी में मिले जहा पर उसने मुझसे जबरदस्ती अपने पैर छुवाये और पूरी पार्टी वह मेरे साथ ही रही… अचानक से उसने उस रात का जिक्र किया और बस हल्के में डिस्कस कर के निकल गई.
उन्होंने मुझे कहा कि एक दिन वह मुझे घर पर बुलाएगी और जब बुलाएगी तो मुझे तुरंत पहुंचना होगा.. मैंने उनको अपना सर जुका कर हामी भर दी.
कुछ दिनों बाद मेरे लैंडलाइन पर उनका फोन आया और उन्होंने मुझे तुरंत घर आने को कहा.. उनका घर हमारे घर से बस १५-२० मिनट की दूरी पर है. मैं घर से निकल पड़ा वहां पहुंचते ही मैंने देखा कि वह अभी तक नाईट ड्रेस में बैठी थी. ऐसा लग रहा था कि सुबह सुबह तैयार होकर वह शायद कहीं जा रही थी पर फिर मुड़ चेंज हो गया होगा और वापस उसने नाईट ड्रेस पहन लिया.. दरवाजे पर मुझे देखते ही उनके चेहरे पर चमक सी आ गई थी.
उन्होंने कहा कि मैं किचन में खाना बना रही हूं, जब तक तुम मेरे रूम में बैठो. मैं १० मिनट में आती हूं. मैंने पूछा कि अंकल आंटी कहां है? तो पता चला वह आउट ऑफ सिटी गये हुए है चार पाच दिनों के बाद आएंगे.
रूम में जाकर मैंने कंप्यूटर खुला पाया तो सोचा कुछ गेम्स खेल लूं, लेकिन जैसे ही मैंने माउस हीलाया तो स्क्रीनसेवर हटा और मेरी भी आंखों में चमक आ गया.. उसमें एक साइट खुला था जिस में एक आदमी एक औरत की पूसी को चाट रहा था. मैंने वापिस से कंप्यूटर वैसे ही छोड़ दिया.. मेरे अंदर का शेतान जो पहले ही जाग चुका था अब बाहर आने लगा. मैं किचन में गया और उनसे कहा आपने मुझे क्यों बुलाया कोई खास काम?
उन्होंने कहा क्यों तुम्हें नहीं पता?
मैंने ना में सर हिलाया तो उन्होंने बेबाक कहा  तो उस दिन मेरी चूत को क्यों किस कर रहा था?
तुझे क्या लगा मैं नींद में हूं?
मैं थोड़ा नर्वस हो गया.. तो उसने कहा कि उस दिन बहुत मजा आया और बताया कि आज यही सब करने को बुलाया है.
बस फिर क्या था मैं तो मानो खुशी के मारे नाचने लगा. उसके बाद उसने मुझे अपनी ख्वाहिश बताई कि उसे किसी कम उम्र के लड़के से चूत चुसवाने का शौक है जो उसकी चूत को किसी भूखे की तरह चुसे उसे और उसके रस को पीए, और उसका गुलाम बन कर रहे.. मैंने उसकी बातों में हामी भर दी बस उसने मुझे कहा आज से मैं तुम्हारी मालकिन और तू मेरा कुत्ता. और अभी से तुम मुझे मालकिन बुलाएगा.. मैंने कहा जी मालकिन.. बस फिर क्या था? उसने कहा चल कुत्ते काम पर लग जा.. मैं मालकिन को देखता रहा.
उसने कहा चल मेरे नाइटी में नीचे से घुस जा.. जब तक मैं खाना बना रही हूं तू मेरी गांड और चूत चाट. आज से तुझे ही मेरी चूत और गांड का ख्याल रखना है.. मैंने मालकिन का हुक्म माना और पीछे से उनकी नाईटी उठा कर घुस गया. मैंने उनकी पेंटी उतारी तो पहली बार चूत को देखा और बस फिर क्या था?? मैंने अपनी जुबान उनकी चूत से लगा दी.. टच होते ही जैसे उनके शरीर में करंट दौड़ गया..
उन्होंने नाइटी के ऊपर से ही मेरा सर पकड़ा और अपनी चूत पर दबाने लगी.. खाना बनाने का काम रुक चुका था फिर अचानक उन्होंने कहा अरुण जब तक मैं खाना बना रही हूं तब तक सिर्फ मेरी गांड चाटो.. मैंने मालकिन की बात मानी और शुरू हो गया. अंदर मदहोश करने वाली खुशबू और मुलायम मुलायम चुतड.. ऊपर से दोनों चुतडो के बीच में वह सुराख़ और सुराख़ से लगे छोटे छोटे और कोमल बाल..
मैंने दोनों हाथों से उनके चूतडो को फेलाया और उस सुराख़ से लिप लॉक किस किया. फिर उन बालों को अपने होंठों से दबाकर मैंने खींचना शुरु किया तो मोना मालकिन  मानो पत्थर की मूर्ति बन गई, उन्होंने कहा अरुण मुझे बहुत अच्छा फील हो रहा है, जरा फिर से अपने लिप्स मेरी गांड से लॉक करके उसे चुसो.. फिर मैंने वैसा ही किया अपने मुंह से उनकी गांड में हवा भरा फिर वापिस हवा को खिंचा. इसमें मोना मालकिन को बहुत मजा आया.
कुछ देर तक ऐसा ही करने के बाद मोना मालकिन ने कहा अरुण मेरे पैरों में दर्द हो रहा है.. तुम घुटनों पर बैठ जाओ मैं तुम्हारे चहरे पर बैठकर खाना बनाऊंगी.. मैंने वैसा ही किया.
तकरीबन १० मिनट के बाद उन्होंने सारा खाना बना लिया था और फिर वह मेरे ऊपर से उठी और मुझे उठने का इशारा किया तो में उठ गया  फिर वह मुझे लेकर अपने रुम में चली गई, अपने बिस्तर पर लेट कर उन्होंने कहा चल मेरे गुलाम लग जा अपनी मालकिन की खास सेवा में और खुश कर दे मुझे.. और ऐसा कहते हुए अपनी टांगें फैला दी. मैं वापिस से उनकी नाइटी में घुस गया और अपनी जुबान से उनकी चूत की मसाज करने लगा.. कुछ देर बाद वो मेरा सर पकड़ कर थोड़ी अग्रेसिव आवाज में बोलने लगी और मेरा सर अपनी चूत में अन्दर घुसाने लगी.. इसके बाद वह जड गई और मुझे अपनी चूत चाट कर साफ करने को कहा…  मैंने वैसा ही किया और उनके सरे अमृत रस को अपने होठो से साफ कर लिया और पि गया.
कुछ देर बाद को बिस्तर से उठी और मुझे उनके कपड़े खोलने को कहा. उसके बाद उन्होंने मुझे अपने अंडर वेअर को छोड़ सब कुछ उतारने को कहा.. यह सब करने के बाद उन्होंने मुझे घोड़ा बनने को कहा और मेरी पीठ पर बैठ गई और मुझे बाथरुम में चलने को कहा में चुपचाप वह जो भी हुक्म कह रही थी वह कर रहा था. बाथरुम में पहुंच कर उन्होंने मुझे घुटनों पर बैठाया और मेरे चेहरे पर अपनी चूत रगड़ने लगी. फिर अचानक से उन्होंने मेरे चेहरे पर पेशाब करना चालू कर दिया. पेशाब खत्म होने पर वह हंसने लगी और मुझसे पूछा मजा आया अरुण? मैंने कहा की जी मालकिन बहुत मजा आया, तब वह शोवर के नीचे खड़ी हो गई है और कहां चल मेरे कुत्ते अपने होंठों को मेरी चूत से लगा ले.
जब मैं शावर ऑन करूं तो जितना पानी मेरी चूत से होते हुए तेरे मुंह में जाए वह सब पीता जाना.. मैंने मालकिन का हुक्म मान लिया मुझे ऐसा सब कुछ करने में बहोत मजा आ रहा था और मेरा तो जैसे की सपना पूरा हो रहा था. वैसे ही उन्होंने मुझे अपनी गांड की तरफ से भी पानी पीने को कहा.. उन्होंने सोप से नहाने के बाद मैंने उनके शरीर के हर हिस्से को टॉवल से पोछा और फिर मेरी मालकिन को अपनी पीठ पर बिठाकर रूम में ले गया, उनको कपड़े पहनाए, उनका खाना सर्व किया और जब वह खाना खा रही थी तो उन्होंने मुझे टेबल के नीचे से फिर उनकी चूत चूसने को कहा,  मैंने वैसा ही किया और खाने के बाद वह आराम करने गई और मुझे उनके बॉडी मसाज में लगा दिया.
अचानक वह सो कर उठी और मुझे अपनी पेंटी उतारने को कहा.. उन्होंने कहा मुझे पेशाब लगी है और वह मेरे मुंह में पेशाब करना चाहती है. मैं मुंह खोल कर बैठ गया और उन्होंने पेशाब कर दिया. शाम हो चली थी और मेरे घर जाने का वक्त हो रहा था, मैंने उनसे इजाजत मांगी तो उन्होंने कहा मेरे पास मजे करने के दिन चार दिन ही है. आज शाम में तुम्हारे घर आऊंगी और मैं अपने साथ तीन चार दिनों के लिए ले आऊंगी.
आगे की कहानी में अपने नेक्स्ट पार्ट में बताऊंगा.. अगले पार्ट में आपको पढ़ने को मिलेगा कि कैसे मोना मालकिन ने अगले ३-४ दिन मुझे इस्तेमाल किया और अपने पीरियड्स में भी मुझसे कैसा कैसा काम करवाया.. यह मेरी पहली स्टोरी है अगर मुझसे कोई भी गलती हो जाए तो आप सब लोग मुझे माफ कर देना.
मोना मालकिन अब अपने हस्बैंड के साथ फॉरेन चली गई है पर उन्होंने प्रॉमिस किया है कि वह जब भी वापिस आएगी मुझे अपनी उस खास सेवा का मौका जरूर देंगी.

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