Wednesday 8 February 2017

रात गुज़ारी तड़प कर...


जो तेरे गुलाबी लब मेरे लबों को छू जायें, 
मेरी रूह का मिलन तेरी रूह से हो जाये, 
ज़माने की साज़िशों से बेपरवाह हो जायें, 
मेरे ख्वाब कुछ देर तेरी बाहों में सो जायें, 
मिटा कर फ़ासले हम प्यार में खो जायें, 
आ कुछ पल के लिये एक-दूजे के हो जायें।
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कहीं किसी रोज़ यूँ भी होता, 
हमारी हालत तुम्हारी होती, 
जो रात हमने गुज़ारी तड़प कर, 
वो रात तुमने गुज़ारी होती।
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रास्ते खुद ही तबाही के निकाले हमने, 
कर दिया दिल किसी पत्थर के हवाले हमने, 
हमें मालूम है क्या चीज़ है मोहब्बत यारो, 
घर अपना जला कर किये हैं उजाले हमने।
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सपनों की दुनिया में हम खोते चले गए, 
मदहोश न थे पर मदहोश होते चले गए, 
ना जाने क्या बात थी उस चेहरे में, 
ना चाहते हुए भी उसके होते चले गए।
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खुदा सलामत रखना उन्हें, 
जो हमसे नफरत करते हैं, 
प्यार न सही नफरत ही सही, 
कुछ तो है जो वो सिर्फ हमसे करते हैं।
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जब भी आपके बिना रात होती हैं, 
तब दीवारों से अक्सर बात होती हैं, 
सन्नाटा पूछता हैं हमारा हाल हमसे, 
तो आपके नाम से ही शुरुआत होती हैं।

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